कुंडली के केंद्र पर एक चुंबकीय सुई ऊर्ध्वाधर कीलक (
2.
कीलक पर घर्षण न्यूनतम होता है और चुंबकीय सुई अवमंदित (
3.
चुंबकीय सुई से दिक्पात, अर्थात चुंबकीय बलरेखा और क्षितिज के बीच का कोण, ज्ञात होता है।
4.
विशेष रूप से धारा के कारण चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता चुंबकीय सुई के दोनों ध्रुवों पर एक सी नहीं होती।
5.
निर्बाध विलंबित चुंबकीय सुई से दिक्पात, अर्थात चुंबकीय बलरेखा और क्षितिज के बीच का कोण, ज्ञात होता है।
6.
निर्बाध विलंबित (freely suspended) चुंबकीय सुई से दिक्पात, अर्थात चुंबकीय बलरेखा और क्षितिज के बीच का कोण, ज्ञात होता है।
7.
कीलक पर घर्षण न्यूनतम होता है और चुंबकीय सुई अवमंदित (damped) दोलन करने लगती है, जिससे दिक्सूचनपठन अविलंब और सुविधापूर्ण हो जाता है।
8.
चुंबकीय सुई के लाल भाग हमेशा अपने उत्तरी भाग की ओर स्थिर हो जाता है जो स्पष्ट रूप से उतर दिशा को दर्शाता है।
9.
प्रेक्षण की अवधि में यांत्रिक असंतुलन के अवशिष्ट प्रभाव को कम करने के लिए चुंबकीय सुई के चुंबकन की दिशा को कृत्रिम रीति से अनेक बार प्रतिवर्तित (
10.
इस यंत्र के साधारण रूप में एक चुंबकीय सुई होती है, जो एक चूल के ऊपर ऐसे संतुलित रहती है कि वह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की क्षैतिज दिशा में घूमने के लिए स्वतंत्र हो।